दिल्ली। शुक्रवार को सरकार से अंतिम दौर की वार्ता बेनतीजा होने के बाद शनिवार को सुबह सात बजे दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान पर बाबा रामदेव का भ्रष्टाचार और कालेधन के मुद्दे पर अनशन शुरू हो गया। बाबा को समर्थन देने के लिए देश के कोने कोने से लोगों के आने का सिलसिला अभी भी जारी है, हालांकि जिस प्रकार से यहां लोगों की भीड़ उमड़ी है उससे अनुमान लगाया जा रहा है कि यहां लोगों की संख्या करीब लोखों में हो सकती है।
इसीलिए इस स्थिति को देखते हुए बाबा रामदेव ने सबसे अपील की है कि आप जहां भी हैं वहीं से समर्थन दे। आप दिल्ली न आएं। आप अपने जिला मुख्यालय में जाकर अपना विरोध जताए। अनशन शुरू करने से पहले बाबा रामदेव ने भजन और योग सत्र का आयोजन किया। इस दौरान उन्होंने अपने समर्थकों से कहा कि यह विरोध प्रदर्शन देश को भ्रष्टाचार से बचाने और गरीबों को बेहतर जीवन देने के लिए है।
बाबा सुबह चार बजकर 50 मिनट पर मंचासीन हुए। उन्होंने विदेशों में जमा काले धन को स्वदेश वापस लाने की मांग पर अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा, ' कुछ असंभव नहीं हैं। सब कुछ संभव है और हम जरूर जीतेंगे। ' रामदेव के साथ साध्वी ऋतंभरा के अलावा सिख, जैन और मुस्लिम समुदाय के कई धार्मिक नेता और रामलीला मैदान में हजारों की संख्या में जमा बाबा के समर्थकों ने भी अनशन की शुरुआत की।
बाबा रामदेव ने अपने अनशन को भ्रष्टाचार के खिलाफ सत्याग्रह बताया है। बाबा रामदेव ने कहा है कि उनके इस आंदोलन में हिंसा का कोई स्थान नहीं है। "हम तक तक पीछे नहीं हटेंगे जब तक हमारी मांगें नहीं मान ली जातीं। वैसे शुक्रवार को एक बार ऐसा लगा कि सरकार और बाबा के बीच सहमति बन गई है। पर वह क्षणिक साबित हुई।
रामदेव ने खुद ही कहा था कि एक दो मुद्दे को छोड़कर उनके और सरकार के बीच सहमति बन गई है, लेकिन शाम होते होते सियासत में नए रंग दिखने लगे। बातचीत बेनतीजा होने के बाद वह महात्मा गांधी समाधि स्थल राजघाट गए जहां उन्होंने राष्ट्रपिता को श्रृद्धांजलि दी। उसके बाद उन्होंने रामलीला मैदान का रुख किया जहां भीड़ ने झंडे लहराकर और नारे लगाकर स्वागत किया। आपको बता दें कि बाबा रामदेव को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ ही साथ सपा ने भी बाबा के आंदोलन का समर्थन किया है।
कालेधन के खिलाफ बाबा रामदेव का सत्याग्रह |
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नई दिल्ली। |
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Story Update : Saturday, June 04, 2011 1:14 AM |
विदेशों से काले धन को वापस लाने और भ्रष्टाचार को खत्म करने की मांग को लेकर योग गुरु बाबा रामदेव ने आज सुबह अपना आमरण अनशन शुरू कर दिया। ऐतिहासिक रामलीला मैदान में अपने हजारों समर्थकों के समक्ष मांगे नहीं माने जाने तक अनशन जारी रखने की घोषणा करते हुए बाबा ने कहा कि उनके इस उपवास के समर्थन में अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, यूरोप, आस्ट्रिया समेत विश्व के 17 देशों में अनशन किया जा रहा है। अनशन मंच पर बाबा के समर्थन में विभिन्न धर्मों के धर्मगुरु मौजूद थे। बाबा रामदेव ने कहा कि राजनीतिक पार्टियां उनके इस सत्याग्रह का समर्थन कर सकती हैं किन्तु किसी नेता को भाषण देने की अनुमति नहीं होगी। उन्होंने कहा कि अनशन के दौरान वह किसी पर टिप्पणी नहीं करेंगे और उनका सारा ध्यान अपनी मांगों पर केन्द्रित होगा।
समय सीमा तय नहीं
इससे पहले शुक्रवार को तकरीबन पांच घंटे की मैराथन बैठक में भ्रष्टाचार को उखाड़ फेंकने के लिए बाबा रामदेव की कई मांगों पर सरकार राजी हो गई पर इसकी समय सीमा न तय कर पाने से गतिरोध कायम है। गतिरोध कायम रहने तक बाबा ने अनशन पर रहने का ऐलान किया है।
अध्यादेश पर सरकार राजी नहीं हुई
हिंदी समेत कई क्षेत्रीय भाषाओं में इंजीनियरिंग और मेडिकल की परीक्षा कराने, लोक सेवा गारंटी एक्ट पेश करने और विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाकर भ्रष्टाचारियों को उम्रकैद की सजा देने की बाबा की बात तो सरकार ने मान ली है। मगर कालेधन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने के लिए अध्यादेश पर सरकार राजी नहीं हुई है। राजधानी के पांच सितारा होटल क्लेरिजेस में सरकार के वार्ताकार मंत्रियों कपिल सिब्बल और सुबोधकांत सहाय के साथ दूसरे दौर की बातचीत में बाबा ने हर मांग पर दबाव तो बनाया साथ ही निश्चित समय-सीमा लिखित में बताने का हठ भी किया।
रामदेव ने चुप्पी साध ली
उनकी इस जिद पर सरकार की चिढ़ का ही सुबूत था कि सिब्बल ने पत्रकारों से कह दिया कि एक दिन में थोड़े ही सब-कुछ हो जाता है। शायद इस पर ही कटाक्ष करते हुए फिर बाबा ने भी कह दिया कि हम तो इंतजार करने को तैयार हैं लेकिन सरकार बताए तो सही कि कितना इंतजार करना होगा। बाबा का कहना है कि विदेश में जमा कालेधन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने की मांग पर सरकार ने मौखिक सहमति जरूर दी। लोकपाल को संवेदनशील मुद्दा बताते हुए रामदेव ने इस पर चुप्पी साध ली। भ्रष्टाचारियों को सजा-ए-मौत की मांग पर सरकार ने बाबा से उम्रकैद पर सहमत हो जाने का कहा। देश का धन बाहर ले जाने वाले भ्रष्ट अधिकारियों, राजनीतिज्ञों और व्यापारियों के नाम उजागर करने की मांग पर सरकार ने ऊहापोह का ही इजहार किया। सरकार ने कोई समय सीमा तय करने से मना करते हुए कह दिया कि जितनों का पता चल जाएगा उनका ब्योरा नेट पर डाल दिया जाएगा, लेकिन इस पर रामदेव ने अपनी नाखुशी का इजहार कर दिया।
--बाबा की मांग, सरकार के जवाब--
मांग - विदेशों में जमा कालाधन राष्ट्रीय संपत्ति घोषित हो
जवाब- सरकार पूरी तरह राजी नहीं, केवल मौखिक सहमति दी
मांग - भ्रष्टाचार के मामलों के लिए बने फास्ट ट्रैक कोर्ट
जवाब - सरकार राजी, लेकिन साल भर में निपटारे पर चुप्पी
मांग - भ्रष्टाचारियों को मिले मौत की सजा
जवाब- सरकार ने केवल उम्रकैद पर राजी होने को कहा
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नई दिल्ली : भ्रष्टाचार के खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ता अण्णा हजारे के अनशन के बाद अब योगगुरु बाबा रामदेव भी चार जून से दिल्ली के रामलीला मैदान पर भ्रष्टाचार मिटाओ सत्याग्रह शुरू करने जा रहे हैं। रामदेव ने कहा कि जब तक सरकार तीन प्रमुख मांगें नहीं मानेगी, तब तक यह अनिश्चितकालीन सत्याग्रह जारी रहेगा।
यह पूछने पर कि हजारे के आंदोलन के आगे सरकार के झुकने के बाद अब उन्हें भ्रष्टाचार के मुद्दे पर ही सत्याग्रह शुरू करने की क्या जरूरत पड़ी, योगगुरु ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ हमने ही पांच वर्ष पहले आंदोलन शुरू किया था। भ्रष्टाचार के विरूद्ध आंदोलन पहले हमने खड़ा किया।
उन्होंने इस बात से इनकार किया कि वह इस मुद्दे पर अन्ना हजारे से श्रेय लेने के लिए सत्याग्रह करने जा रहे हैं। रामदेव ने सफाई दी कि हज़ारे का आंदोलन लोकपाल विधेयक को लेकर था, जबकि उनका आंदोलन कालेधन के मुद्दे पर है। दोनों तरह के आंदोलन में किसी भी तरह का कोई विरोधाभास नहीं है।